Imagination...एक कल्पना !!!:
जिंदगी क्या है यार ?? इसे समझना बहुत मुश्किल है | ईश्वर ने हमारी जिंदगी को बहुत गलत प्रोग्राम किया हुआ है | अगर वो चाहता तो इसे थोडा सा बदल कर बहुत अच्छा बना सकता था| उसे अपने मनोरंजन के लिए बनाये गए इस खेल का और मज़ा आता और हम भी अपपनी जिंदगी अच्छे से जी लेते | हम बचपन में होते हैं तो जल्दी बड़ा होना चाहते हैं | लेकिन जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं जो हमसे बड़े हैं वो बजुर्ग हो जाते हैं | एक समय आता है की हमें डर लगना शुरू हो जाता है की कोई हमसे सदा के लिए बिछड़ न जाये |
भगवान को चाहिए था की मनुष्य की उम्र भले ही सो साल रहने देता लेकिन थोडा सा इसका क्रम बदल देता | क्रम होना चाहिए था, जन्म-बचपन-जवानी-अधेड़-जवानी-बचपन-मृतु | कल्पना करिये जब हम बचपन में होंगे हमारे माँ बाप जवान होंगे | हम जवान होंगे तो वो अधेड़ उम्र में हमारे जवान होने का आनंद ले सकेंगे और जैसे ही हम अधेड़ उम्र में जायेंगे वो वापिस जवान होने लगेंगे | मतलब हम उन्हें वो सभी सुख दे सकेंगे जो उन्होंने हमें दिए | हम वापिस जवान होंगे तो वो बचपन में पहुँच जायेंगे| अब हमारे पास मौका होगा की हम उन्हें वही प्यार दे पाए जो हमें उनसे बचपन में मिला था| सबसे बड़ी बात, उम्र के वापिसी पड़ाव में पढाई की भी जरुरत नहीं| जो सत्रह साल हम स्कूल कॉलेज में बर्बाद करते है वो वापिस जवान होने पे बर्बाद नहीं करने पड़ेंगे | कितना मज़ा होगा जिंदगी में | हम पचास के होंगे और हमारे माँ बाप तीस के| हम वापिस तीस के तो हमारे बच्चे पचास के और माँ बाप दस साल के | कितनी मज़ेदार होती न जिंदगी|
लेकिन यह एक कल्पना मात्र ही है जिसके सच होने का कोई चांस नहीं | लेकिन सपने देखने से किसी के बाप का क्या जाता है..... ;-)
Life is weird, first you wanna grow up, then you wanna be a kid again......